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Pune-Jagdamba Bhawan-विश्व बन्धुत्व दिवस के पुनित अवसर पर ‘समकालीन आध्यात्मिक (योग) पद्धतियाँ’

जगदम्बा भवन, पिसोली, पुणे: विश्व बन्धुत्व दिवस एवं राजयोगिनी दादी प्रकाशमणिजी के 12वें स्मृति दिवस के पुनित अवसर पर समकालीन आध्यात्मिक (योग) पद्धतियाँ इस विषयपर चर्चासत्र  का आयोजन किया गया। जगदम्बा भवनपिसोली (पुणे) में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय तथा स्पार्क (स्पिरिच्युअल एप्लीकेशन अण्ड रिसर्च सेन्टर) की ओर से आयोजित इस चर्चासत्र में ब्रह्मविद्या,प्राणिक हिलिंगईशा योगसिद्ध समाधि योगक्रिया योगट्रान्सिडेन्टल योगआर्ट ऑफ़ लिविंग तथा ब्रह्माकुमारीज़   – राजयोग इन विभिन्न आध्यात्मिक संस्थायें सहभागी हुई।

आध्यात्म तथा योग साधनामें रूचि रखनेवाले करीबन 500 जिज्ञासु इस अनोखे चर्चासत्र में सोत्साह सम्मिलित होकर इससे लाभान्वित हुए। इस चर्चासत्र के प्रारम्भ में इसका मुख्य उद्देश्य समझाते हुए ब्रह्माकुमार मुकुल भाईजी ने कहा कि – “समकालीन आध्यात्मिक (योग) पद्धतियों के ज्ञान का आदान-प्रदान करनाविभिन्न आध्यात्मिक संस्थाओं की मूल संकल्पनाओं का अवलोकन करना और साथ-साथ योग-साधना के क्षेत्र में स्व-अनुकूल योग पद्धति को समझ स्वयं की आध्यात्मिक उन्नति हेतु इस विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।”

ब्रह्माकुमारीज़ संस्था की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती के याद में बने इस जगदम्बा भवन में सादगी एवं प्रसन्नता की मूर्तिज्ञानदीपस्तम्भ राजयोगिनी दादी प्रकाशमणिजी के पुण्य स्मृति दिवस पर आप आये हुए सभी महेमानों का सहर्ष स्वागत करती हूँ – इन स्वागतपर उद्गार रखें वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी नलिनी दीदीजी ने।

प्राणिक हिलिंग संस्था की ओर से अपनी बात रखते हुए लीना खाणके जी कहा कि – “प्राणों (जान) के लिए जो उपचार किये जाते हैउसे ही प्राणिक हिलिंग कहा जाता है। मानव के उर्जा शरीर को सशक्त बनाने के लिए शरीर में स्थित विभिन्न चक्रों के विकास पर काम करना आवश्यक है। उर्जा-प्रकाशप्रेम व शक्ति – इन तिन्हों ही उर्जाओं के सन्तुलन कैसे किया जाए इसका प्रात्यक्षिक उन्हों ने करके दिखाया।

“मानवमात्र को नयी उंचाई तक ले जाने के लिए सभी कार्य कर रहे हैंइससे भारत पुनः महाशक्ति बनेगा इसमें कोई संदेह नहीं। मानव-उत्थान हेतु शिक्षा देने का तथा पर्यावरण का पुनर्निमाण करने का कार्य सद्गुरु कर हैं।” इन शब्दों के साथ ईशा योग संस्था के प्रतिनिधि कल्पक अलुसकर जी ने योग-नमस्कारनाड़ी-शुद्धि आदि का प्रस्तुतिकरण किया।

सत्यता ही मुक्ति प्राप्त करने का सहज मार्ग है – यह विचार रखें सिद्ध समाधि योग (एस. एस. वाय.) के प्रतिनिधि सुरेन्द्र सालुंखे जी ने। अधिक जानकारी देते हुए उन्हों ने कहा कि समाज के विभिन्न कार्यक्षेत्र के लोगों के लिए अलग-अलग कोर्सेस की सुविधा एस. एस. वाय. में उपलब्ध है।

वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी नलिनी दीदीजी ने राजयोग के विषय में अपने अनुभवयुक्त बोल रखें। उन्होंने कहा कि – “हरेक मनुष्य को चलानेवाली एक चेतना शक्ति हैजिसे आत्मा‘ कहा जाता है। हम सभी मनुष्यात्माओं के पारलौकिक पिता परमपिता शिवा परमात्मा‘ हैंजो निराकार हैसर्व गुण-शक्तियों के सागर हैंमुक्ति-जीवनमुक्ति दाता हैं। ज्ञानसागर परमात्मा ने साकार माध्यम प्रजापिता ब्रह्मा के मुखारविन्द से जो ज्ञान दिया उसे प्रत्यक्ष जीवन में उतारना (धारण करना) ही वास्तविकता में राजयोग है। मनुष्य आत्मा का परमात्मा से मन-बुद्धि के द्वारा मिलन मनानासम्बन्ध जोड़ना ही राजयोग‘ है। राजयोग का उद्देश्य मानव को सर्वगुणसम्पन्नसोला कला सम्पूर्ण बनाना है। राजयोगी गृहस्थ-व्यवहार में रहते कमल फुल समान तन-मन-वचन-कर्म से पवित्र रहते हैशुद्ध सात्विक भोजननित्य सत्संग तथा दैवी गुणों की धारणा करते हैं।” दीदीजी ने विश्व बन्धुत्व दिवस के इस शुभ-अवसर पर समस्त विश्व में प्रेमसद्भाव एवं भाईचारे का माहौल प्रस्थापित करने हेतु प्रेम-सुख-शान्ति से सम्पन्न शक्तिशाली प्रकम्पनों के द्वारा सभी को राजयोग की गहन अनुभूति कराई।

क्रियायोग से सम्बंधित अमित अग्रवाल जी ने कहा कि – “भगवान की प्राप्ति क्रिया योग का प्राणायाम है।”

आर्ट ऑफ़ लिविंग के प्रतिनिधि भूषण मालो जी ने साँसों के द्वारा भावनाओं पर नियंत्रण रखनामनबुद्धि को एकाग्र करनाशरीर स्वस्थ रखना आदि के लिए योग का महत्त्व विशद किया।

भावातीत ध्यान के सन्दर्भ में अपने विचार रखते हुए गीतेश लोखंडे जी ने किसी विशेष मन्त्र का मन ही मन कैसे उच्चारण करें यह बताते हुए कहा कि इस प्रकार के ध्यान का प्रचार एवं प्रसार स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी के शिष्य महेश योगी ने किया।

        इस एक दिवसीय कार्यक्रम का समापन करते हुए वरिष्ठ राजयोग शिक्षक राजयोगी ब्रह्माकुमार दशरथ जी ने सभी को परमात्मा का दिव्य सन्देश देते हुए कहा कि – “परमात्मा के स्नेह भरे निमंत्रण पर आज आप सभी यहाँ पधारें हैं। हम आप सभी मानवजाति को तन-मन का स्वास्थ्यसंपत्ति तथा मानसिक सुख-शान्ति प्रदान करने हेतु स्वयं परमात्मा इस धरा पर अवतरित हो अपना परम दिव्य कर्तव्य वर्तमान समय निभा रहें हैं।”

पवित्र राजयोगी साधकों द्वारा बनाया गया शुध्द सात्विक ब्रह्मा भोजन का सभी से प्यार से स्वीकार किया। कार्यक्रम के अंत में सभी को अलौकिक स्नेह सम्पन्न ईश्वरीय सौगात एवं प्रशाद वरिष्ठ राजयोग शिक्षिकाओं के द्वारा दिया गया।